आखिर क्या हुआ था सीमा पर और क्या हो सकता है
हमारे देश में ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है, जो पाकिस्तान और चीन परस्त है। लेकिन इससे विश्व के इस बड़े देश को कोई फ़र्क नहीं पड़ता क्योंकि 95 फीसदी जागरुक और देशभक्त है।
क्या हुआ था गलवान सीमा पर12 बिहार रेजिमेंट के कर्नल एक जेसीओ और एक सूबेदार के साथ चीनी खेमे में यह संदेश देने गए थे कि आप हमारे भू भाग पर हो और आपको वापस जाना होगा। इस पर चीन और भारत के अग्रिम पंक्ति के बीच बातचीत का दौर चलते-चलते अचानक चीनी खेमा उग्र हो गया और कर्नल साहब पर नुकीले कीले लगे बेस बैट और रॉड से हमला कर दिया। कर्नल साहब बुरी तरह घायल हो गए। अपने कर्नल को घायल होता देख उनका जेसीओ और सूबेदार सामने आए तो उनके माथे और पेट पर नुकीले कीलों वाले बेस बैट और लोहे के पंचों से हमला कर उन्हें गम्भीर रूप से घायल कर दिया गया। पीछे आ रहे भारतीय जवानों की पेट्रोलिंग पार्टी के ट्रक के ऊपर बड़ी चट्टान गिरा कर उनके वाहन को घाटी के नीचे नदी में गिरा दिया गया। उस ट्रक में 17 जवान मौजूद थे। अंजाम की आप कल्पना कर लीजिये। इस घटना के तुरंत बाद पीछे आने वाली भारतीय फौज की 12वीं बिहार रेजीमेंट और पंजाब बटालियन की एक बड़ी टुकड़ी ने रिइंफोर्समेंट किया। बिहार रेजिमेंट के कर्नल गम्भीर रूप से घायल हैं ये सुनकर बिहार रेजिमेंट के जवान क्रोधित हो उठे। उनके साथ पंजाब रेजिमेंट (पंजाब रेजिमेंट का मतलब सिख रेजिमेंट नहीं है) भी थे। फिर क्या था, चीनियों के तंबू और टेंट पर पंजाब रेजिमेंट के जवानों ने आग लगाना शुरू किया और जैसे ही चीनी छुछुन्दर बाहर निकलते बिहार रेजिमेंट के खूंखार बिहारी जवान, “बजरंगबली की जय” बोल कर उनकी गर्दन धड़ से अलग करते। पीछे से पंजाब रेजिमेंट के जवान “जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल” का उदघोष कर अपनी कार्यवाही जारी रखे हुए थे।
उसके बाद देखते ही देखते भारतीय जवान 112, जी हां 112 चीनियों को मौत के घाट उतार चुके थे। भारत के सिर्फ 3 फौजी (अफसर सहित) देश पर न्योछावर हुए, बाकी 17 जवान दुर्घटना के शिकार हुए।कुल 20 अमूल्य प्राण न्योछावर हुए।
क्या किया चीन ने
चीन ने बीजिंग के सारे मिलिट्री अस्पतालों को रातों रात खाली करवाया। डेढ़ दिन लगातार लाशें जलीं। चीन के पालतू और भारत के एक न्यूज चैनल जिसका नाम ग्लोबल टाइम्स है, ने लिखा कि चीन को “भारी नुकसान” हुआ। अब ये भारी नुकसान क्या था? चीन ने स्वीकार किया कि उनके 43 जवान मारे गए, अगर चीन 43 जवानों के मरने की पुष्टि करता है तो आप 43X4 कर लीजिए। चीन जैसा देश डरपोक और दब्बू है। वह आंकड़े ऐसे ही बताया करता है। वैसे भी 43 शव उठाने के लिए 47 हेलीकॉप्टर नहीं भेजना पड़ता, जो चीन ने भेजा था।
एक बात और
चीन 1970 से वन चाइल्ड की पॉलिसी जारी रखते है। फलस्वरूप चीन में जो लड़के जन्म लेते हैं, वो बेहद ऐशो आराम और लाड़ प्यार में पल कर बड़े होते हैं। काम धाम न मिलने पर वे चीन की आर्मी में आ कर ऐश करते है। चीन की आर्मी पिछले 45 सालों से कोई जंग न लड़ सकी। वहीं आप हिंदुस्तान की फौज का मेरिट रिकॉर्ड जानते हैं। बेवजह इंडियन आर्मी के बहादुरी के किस्से नहीं सुनाऊंगा, क्योंकि इंडियन आर्मी का एक पर्यायवाची शब्द “बहादुर” ही है। यकीन न हो तो ऑक्सफ़ोर्ड डिक्शनक़री खोल लीजिएगा।
अगर युद्ध पर आया चीन
भारत के साथ कूटनीतिक मोर्चे पर रूस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, ब्रिटेन, फ्रांस, ताइवान, फिलीपींस, इंडोनेशिया, वियतनाम, अफ़ग़ानिस्तान, कजाकिस्तान और सबसे बढ़ कर इज़राइल, जो यह कहता है कि भारत पर हमला करने से पहले हमसे लड़ना होगा, साथ होंगे। भारत, रूस, अमेरिका और जापान मिल कर साउथ चीन कॉरीडोर को ब्लॉक कर देंगे और फिर शुरू होगा “विशुद्ध भारतीय प्रहार”।भारत सिर्फ अपने दो हथियारों से लड़ेगा। 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाला ब्रम्होस मिसाइल, जिसकी काट दुनिया के किसी दूसरे देश के पास नहीं है। यहां तक कि अमेरिका के पास भी नहीं। जो मैक 7 की रफ्तार से चलता है। जिसे खुली आँखों से देखना भी संभव नहीं, न दुनिया का कोई रेडार इसे पकड़ सकता है। लो एल्टीट्यूड पर उड़ने वाला ये मिसाइल बेहद घातक और बदनाम है। इस मिसाइल को नज़र पर कोई इस ग्रह का प्राणी रख ही नहीं सकता।
दूसरा हथियार
भारत एक ऐसा शांत और चमत्कारी देश है, जिनके अभिनव हथियार और उनकी मारक क्षमता को कोई आंकलन कर ही नही सकता। काली 5000 और काली 10000 एक चमत्कार ही हैं, जिसे भारत के अलावा कोई दूसरा देश जानता भी नहीं। अवाक्स और एएन 32 श्रेणी के विमानों पर इनकी त्वरित तैनाती हो सकती है। सेकंड के 10वें भाग में काली क्या कहर मचा सकती है ये पाकिस्तान ने 2012 अप्रैल को देख लिया है। मैं इस हथियार के बारे में ज़्यादा कुछ बोलना उचित नहीं समझता। आप खुद शोध और रिसर्च कीजिये, गूगल बाबा के द्वारा।
क्या करेगा ब्रम्होसचीन जब तक सोच विचार करेगा तब तक उसके सैकड़ों शहर ब्रम्होस लील चुका होगा। ब्रम्होस दुनिया का एकमात्र ऐसा मिसाइल सिस्टम है जो “Fire And Forget” पद्धति पर काम करता है। पहला ब्रम्होस मिसाइल लांच करने के लिए 3 मिनट लगते हैं और उसके बाद लगातार 20 ब्रम्होस मिसाइल हर 3 सेकंड में आकाशीय बिजली की गति से हमला करते हैं। पहले जो ब्रम्होस मिसाइल बनी थी वो 3000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 290 किलोमीटर तक मार करती थी। अब जो ब्रम्होस मिसाइल में डीआरडीओ ने फेरबदल किया है तो वो लगभग 470 किलोमीटर की दूरी और लगभग 3700 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से मार कर सकती हैंं। ये मार नभ, जल या स्थल कहीं से भी हो सकती है।
अगर चीन परमाणु बम दागने की सोचेचीन जैसा दब्बू राष्ट्र अव्वल तो ऐसा करेगा नहीं और अगर करने की योजना भी बनाये तो परमाणु बम लांच होने के पहले 25 मिनट का एक चार्जिंग सेशन होता है। जिससे काफी धुंआ और रोशनी निकलती है। इसे पकड़ने के लिए अंतरिक्ष में भारतीय शूरवीर सेटेलाइट पहले से ही मौजूद हैं। जो अग्नि और ब्रम्होस टाइप के मिसाइल सिस्टम को फारवर्ड कर देंगे और फिर क्या करेगा भारत ये मुझे अपने किसी मित्र को समझाना नहीं पढ़ेगा।
अंततः
ये नव युवाओं का भारत है, सशक्त प्रधानमंत्री मोदी का भारत है। 1962 का नहीं 2020 का भारत है। भारत को किसी भी तरह किसी भी क्षेत्र में कम आंकना विश्व समुदाय की भारी भूल होगी। 2020 के खत्म होते होते निश्चित तौर पर विश्व समुदाय को और हमारे घर में बैठे कुछ “भटके” हुए लोगों को इसका एहसास हो जाएगा।