डीजल कार खरीदने वालों से सहानुभूति
संजय कुमार सिंह का व्यंग्य
डीजल – पेट्रोल का भाव समान हो जाना उन लोगों के लिए बड़ा झटका है जिन्होंने ज्यादा पैसे देकर डीजल कार खरीदी थी। पर समझदार इतने हैं कि कोई शिकायत नहीं कर रहा। दूसरी ओर, कुछ लोग इतने भोले हैं कि समझ ही नहीं पा रहे हैं कि डीजल को पेट्रोल के बराबर क्यों किया गया। डीजल तो हमेशा सस्ता होता था। जी हां होता था। जब बराबर बिकता था। ज्यादा बिकता था। अब आपकी डीजल कार खड़ी है। डीजल नहीं खरीदेंगे तो सरकार का खर्चा कैसे चलेगा। इसलिए सरकार को मजबूरी में डीजल का दाम बढ़ाना पड़ा है ताकि ट्रैक्टर वाले बचकर कहां जाएंगे। खेतों में काम कैसे होगा। अब डीजल बिक रहा है तो टैक्स उसी से आएगा। सरकार की समस्या कोई समझता ही नहीं है। हो सकता है, यही हाल रहा तो डीजल के भाव पेट्रोल से ज्यादा हो जाएंगे। और जब पेट्रोल बिकना ही नहीं है तो कम भी हो सकता है। देखते रहिए।
नामुमकिन मुमकिन हो रहा है। फिलहाल डीजल कार खरीदने वालों से मुझे पूरी सहानुभूति है पर अभी जता नहीं सकता। असल में मुंह पर मास्क बंधा है।