‘बायकाॅट चाइना’ के स्टीकर भी चाइना ने बनाए
दिल्ली से संजय कुमार सिंह
अगर कोई कहे कि मेरे खून में व्यापार है इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरे के खून में नहीं है। खासकर उसके जो व्यापार में पहले से आगे या ज्यादा सफल है। अगर कोई ऐसा नहीं कहे तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे व्यापार करना नहीं आता है। चीन ने ‘बायकाट चाइना’ का स्टिकर बनाने का भी व्यापार शुरू कर दिया है। बाकी हम चीन के उत्पाद खरीदकर जलाएं, तोड़ें उसका क्या जाता है। जब तक व्यापार चलता रहेगा वह जलाने के लिए अपने उत्पाद बेचता रहेगा।
पहले कहीं पढ़ा था कि चीन ‘बायकाट चाइना’ का स्टिकर भी बना रहा है। पर इस तस्वीर से लगता है कि टीशर्ट भी बना रही है। आज संजय सिन्हा की पोस्ट पढ़कर इसकी पुष्टि करने का ख्याल आया। भारतीय कारोबारी या ‘खून में कारोबार’ वाले इतना जोखिम भी नहीं लेंगे कि ऐसे स्टिकर बनाने लगें। उन्हें डर लगा रहेगा कि सरकार कब नियम बदल देगी। जब नोट बदल गए, टैक्स व्यवस्था बदल गई, चार घंटे में लाॅक डाउन हो गया तो कुछ भी हो सकता है। दूसरी ओर, यह भी पता नहीं है कि कौन कहां कैसा व्यापार कर रहा है और कौन जोखिम उठा रहा है। पर भारतीय कारोबारियों में जोखिम उठाने का माद्दा बचा होगा इसकी उम्मीद मुझे तो नहीं है। इसलिए चीन के बायकाट की अपील का असर यह होगा कि जो इससे कमा सकेगा वह डरा सहमा घर में बैठा रहेगा और चीन कमाता रहेगा। जय हो देशभक्ति की। भारत में कारोबारियों को ये दिन भी देखने थे।