बड़ा खतरा टाटा स्टील में घुस रहे हैं पश्चिम बंगाल से छुपकर आए मज़दूर
कविकुमार
जमशेदपुर, 28 जून: टाटा स्टील के ट्यूब डिवीजन में कोरोना संक्रमण के मरीज के पाए जाने के बाद अब टाटा स्टील मुख्य कारखाने में भी कोविड-19 के मरीज पाए जाने की संभावना बढ़ रही है। समय रहते इसे नहीं रोका गया तो जिला प्रशासन के लिए मुसीबत पैदा हो सकती है।
टाटा स्टील के एक ठेकेदार ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कंपनी प्रबंधन की ओर से ठेका कंपनियों को जिले से बाहर भागे हुए अपने कुशल कारीगरों और मज़दूरों को बुलाने का आदेश है। पश्चिम बंगाल से ठेकेदारों के अनेक मज़दूर आकर टाटा स्टील के कारखाने के अंदर काम करने लगे हैं। इन लोगों का स्वाब टेस्ट नहीं कराया गया है। सिर्फ थर्मल स्कैनर से इनका बुखार नापा गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक यह टेस्ट खास मायने नहीं रखता। सूचना मिली है कि टाटा स्टील में काम करने वाले अनेक ठेका मज़दूर मोटरसाइकिलों से पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर पहुंच चुके हैं और कारखाने के अंदर जाने लगे हैं।
मालूम हो जिला प्रशासन ने दूसरे जिला से जमशेदपुर घुसने वाले हरेक चेक पोस्ट पर पहरा बैठा दिया है, परंतु यहां तैनात पुलिसकर्मी मोटरसाइकिल सवार को नहीं रोकते। वे सिर्फ कार वालों को चेक करते हैं। चूँकि टाटा स्टील में काम करने वाले पश्चिम बंगाल के मज़दूर मोटरसाइकिल में आ रहे हैं इसलिए वे आसानी से प्रशासन के चेक पोस्ट पार कर जाते हैं। ऐसे मज़दूर अपने साथ पश्चिम बंगाल का एक ओपीडी टिकट लाते हैं। जिसमें उनका बुखार नापकर फिट बताते हुए उन्हें झारखंड में जाने दिया जा रहा है।
ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जिनमें पूर्वी सिंहभूम से पश्चिम बंगाल में घुसते समय बंगाल प्रशासन द्वारा काफी कड़ाई से उनकी जांच की जाती है, परंतु पश्चिम बंगाल से पूर्वी सिंहभूम भेजते वक्त बंगाल सरकार अपनी बला टालने के लिए सिर्फ बुखार नाप कर उन्हें जाने देती है। एक बार पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त का आदेश होने के बाद भी बंगाल पुलिस ने एक परिवार को काफी दिनों तक बंगाल में घुसने नहीं दिया था। इससे साफ होता है कि पूर्वी सिंहभूम जिले में कोरोना वायरस पाॅजिटिव लोग घुसें इसकी चिंता पश्चिम बंगाल सरकार को नहीं है।
पश्चिम बंगाल से जमशेदपुर आए टाटा स्टील के ठेका कर्मचारी जिला प्रशासन को अपने आने की खबर नहीं देते हैं, न ही ठेकेदार ऐसा करते हैं। इससे टाटा स्टील कारखाने में कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी संभावना नजर आ रही है। याद रहे 21 जून को कोरोना के 26 मरीजों में टाटा ट्यूब डिवीजन के दो स्थाई और एक ठेका कर्मचारी शामिल थे। इनमें से एक एग्रीको वर्कर्स फ्लैट, दूसरा बारीडीह एल-6 क्वार्टर और तीसरा बारीडीह बस्ती का निवासी था। उस वक्त जिला प्रशासन ने टाटा ट्यूब डिवीजन कंपनी की एसटीपी मिल को बंद करा दिया था। पाॅजिटिव मज़दूर इसी मिल में काम करते थे। यहां काम करने वाले अन्य 370 कर्मचारियों को जीटी हाॅस्टल क्वाॅरेंटाइन सेंटर में रखा गया था। इनमें टाटा वर्कर्स यूनियन के 5 कमेटी मेंबर भी शामिल थे। टाटा ट्यूब डिवीजन की कैंटीन भी सील कर दी गई थी। मालूम हो टाटा ट्यूब डिवीजन एक छोटा कारखाना है परंतु टाटा स्टील काफी विशाल कारखाना है। यहां कोरोनावायरस पाॅजिटिव मरीज के पहुंचने पर स्थिति विकट हो सकती है। समय रहते जिला प्रशासन द्वारा इस पर कड़ी नजर रखना जरूरी है। मालूम हो सरकार ने झारखंड के उद्योगों को यह आदेश भी दिया था कि वे ज्यादा से ज्यादा स्थानीय मज़दूरों से काम कराएं, पर टाटा स्टील इस आदेश पर भी अमल नहीं कर रहा है।