सुदेश से मिलना हेमंत सोरेन की राजनीति कूटनीति
कविकुमार
जमशेदपुर, 17 जून : राज्यसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रत्याशी दिसुम गुरु शिबू सोरेन के लिए समर्थन मांगने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष सुदेश महतो के घर जाना हेमंत सोरेन की कूटनीति बताई जा रही है।यह सब जानते हैं झारखंड मुक्ति मोर्चा के पास अपने प्रत्याशी को राज्यसभा में जिताने के लिए पर्याप्त वोट हैं। इसके लिए झारखंड मुक्ति मोर्चा को किसी भी दूसरे दल की जरूरत नहीं। जबकि आजसू पार्टी के पास सिर्फ 2 विधायक हैं। फिर भी हेमंत सोरेन सुदेश महतो के घर गए और उनसे शिबू सोरेन के लिए समर्थन मांगा। इस मामले में उन्होंने झारखंड आंदोलनकारी भाई-भाई की रणनीति अपनाई। हेमंत सोरेन ने कहा कि शिबू सोरेन झारखंड आंदोलनकारी हैं और आजसू पार्टी झारखंड आंदोलन की उपज है। वैसे में एक आंदोलनकारी को दूसरे आंदोलनकारी का साथ देना चाहिए।मालूम हो राज्यसभा चुनाव के बहाने भारतीय जनता पार्टी झारखंड की सत्ता हथियाने की कसरत शुरू कर चुकी है। भारतीय जनता पार्टी ने करीब 12 असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कुछ विधायकों के सामने चारा डालना शुरू कर दिया है। यह समाचार 12 जून 2020 को सिर्फ ‘आज़ाद न्यूज़’ ने प्रकाशित किया था। संभवतः भारतीय जनता पार्टी के इसी राजनीतिक षड्यंत्र को नाकाम करने के लिए हेमंत सोरेन को सुदेश महतो के पास जाना पड़ा। इसे हेमंत सोरेन की दूरगामी राजनीति के रूप में देखा जा रहा है।2019 के विधानसभा चुनाव के आंकड़े साबित करते हैं कि यूपीए की सरकार सिर्फ इसलिए बनी क्योंकि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी और आजसू पार्टी के बीच चुनावी गठबंधन नहीं हुआ। भविष्य में भी यह गठबंधन न हो इसलिए हेमंत सोरेन सुदेश महतो को आंदोलनकारी भाई-भाई का नारा देकर अपने साथ मिला लेना चाहते हैं। ऐसा होने पर भारतीय जनता पार्टी का दोबारा झारखंड की सत्ता में आना लोहे के चने चबाने के समान हो जाएगा। यह सब जानते हैं झारखंड राज्य का निर्माण होने के बाद से आजसू पार्टी के सुप्रीमो सुदेश महतो हमेशा सत्ता के साथ रहे। 2019 के चुनाव में सुदेश महतो को सत्ता से दूर होना पड़ा। आश्चर्य की बात नहीं कि अगर हेमंत सोरेन सुदेश महतो को सत्ता का लालच दें तो वे झारखंड मुक्ति मोर्चा की तरफ आ जाएंगे। भले ही अभी सुदेश महतो के पास सिर्फ 2 विधायक हैं, परंतु झारखंड मुक्ति मोर्चा या भारतीय जनता पार्टी से मिलकर चुनाव लड़ने पर आजसू पार्टी ज्यादा सीटें जीत सकती है। वैसे भी सुदेश महतो इन दिनों भारतीय जनता पार्टी से नाराज चल रहे हैं। खासकर वे झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास है बेहद नाराज हैं। रघुवर दास के कारण ही 2019 के विधानसभा चुनाव में आजसू पार्टी का भारतीय जनता पार्टी से तालमेल नहीं हो सका था।