रंगदारों-भ्रष्टों के लिए कंपनी की ओर से 27 लिफाफे !!
कई साल पहले की बात है।
मैं झारखंड गया था।
वहां एक सामाजिक समारोह में शामिल होना था।
एक बड़ी निजी कंपनी के वरीय पदाधिकारी से मुलाकात हुई।
पहले सुन रखा था कि वे कंपनी के संचालन को लेकर परेशान रहते हैं।
उस दिन पूछा,‘अब क्या हाल है ?’
उन्होंने कहा कि ‘अब पूरी शांति है।’
कैसे ?
उनका जवाब था,
‘‘पहले 27 लिफाफे हर महीने बनाने पड़ते थे।
अब एक ही लिफाफे से काम चल जाता है।’’
‘‘वह कैसे ?’’
मेरा सवाल था।
पहले संबधित सरकारी विभागों के अफसरों,स्थानीय रंगदारों,
और नेताओं के लिए कुल 27 लिफाफे बनते थे।
लिफाफे लेने वालों का व्यवहार भी बड़ा खराब रहता था।
पर अब सिर्फ माओवादियों को लेवी देनी पड़ती है।
माओवादियों के संरक्षण में चले जाने के बाद बाकी 27 डर
के मारे अब गायब हो गए है।
इसलिए शांति से हमारा काम चल रहा है।
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अब सवाल है कि देश में हर जगह तो
माओवादी हैं नहीं जो निजी कंपनियों को
‘थोड़े में’निश्चिंतता प्रदान कर देंगे ?
ऐसा नहीं कि 27 लिफाफे सिर्फ झारखंड में ही
तैयार करने पड़ते हैं।
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सुना है कि चीन से एक हजार कंपनियां भारत आएंगी।
उन कंपनियों को हमारी सरकारें ‘27 के चक्कर’ से कैसे
बचाएंगी ?
यदि नहीं बचाएंगी तो वे कंपनियां कब तक यहां टिकेंगी ?