टाटा मेन हॉस्पिटल और टाटा मोटर्स हॉस्पिटल कोरोना में कर रहे लापरवाही
जमशेदपुर, 5 जून : हाल ही में ऐसी दो घटनाएं घटी हैं, जिनसे साबित होता है कि टाटा मेन हॉस्पिटल और टाटा मोटर्स हॉस्पिटल कोरोनावायरस के मरीजों और संदिग्धों के प्रति लापरवाह हैं। पहली घटना टाटा मेन हॉस्पिटल की बताई जाती है। सरकारी नियम के मुताबिक कोरोनावायरस मरीज को चंगे हो जाने पर रिलीज करते समय सरकारी पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए परंतु टाटा मेन हॉस्पिटल में एक कोरोनावायरस मरीज की रिपोर्ट निगेटिव आने पर पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त और सिविल सर्जन को सूचना दिए बिना रात के वक्त उसे छुट्टी दे दी गई। नतीजा यह हुआ कि वह युवक रात के वक्त कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए मानगो दाईगुट्टू स्थित अपने घर पहुंचा। उसके राजनीतिक नेता पिता ने इलाके में फुलझड़ी, फटाका और अनार चला कर खुशियां मनाईं और पूरी बस्ती को विचलित कर दिया। जबकि इस इलाके को उपायुक्त ने कंटेनमेट जोन घोषित किया था। नतीजा यह हुआ कि पुलिस ने युवक सहित 11 लोगों पर मुकदमा कर दिया, परंतु असली दोषी टाटा मेन हॉस्पिटल पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। जबकि उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने इस घटना के बाद कहा था कि टाटा मेन हॉस्पिटल ने प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया।
दूसरी घटना टाटा मोटर्स हॉस्पिटल के बताई जाती है। यहां एक महिला, कोरोना वायरस के शक के आधार पर आई थी। टाटा मोटर्स हॉस्पिटल में उसके स्वाब का नमूना लिया गया। इसके बाद उसे क्वॉरेंटाइन में रहने की हिदायत दी गई परंतु उसके हाथ में क्वॉरेंटाइन की मुहर नहीं मारी गई। इसके पीछे कारण यह बताया जाता है कि टाटा मोटर्स हॉस्पिटल ने सरकार की सर्विलेंस टीम को सही समय पर खबर नहीं दी। नतीजा यह हुआ की संदिग्ध महिला होम क्वॉरेंटाइन में नहीं रह कर घूमती रही। उसने एक अन्य डॉक्टर के चेंबर में जाकर खुद को दिखाया। हाथ में मुहर नहीं लगे होने के चलते डॉक्टर को शक नहीं हुआ और उस महिला का चेकअप किया। डॉक्टर ने जरूरी टेस्ट करने के लिए उसे आम बागान साकची स्थित साईं डायग्नोस्टिक सेंटर भेजा। महिला ने वहां से जरूरी जांच कराई। कुछ दिनों बाद उस महिला की रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। नतीजा यह हुआ कि उसके कांटेक्ट खोजने के क्रम में डॉक्टर के क्लीनिक और साईं डायग्नोस्टिक सेंटर को 14 दिनों के लिए सील कर दिया गया। इस संबंध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रतिनिधिमंडल प्रशासनिक पदाधिकारियों से मिला और उसने कहा की संदिग्ध मरीज के हाथ में मुहर नहीं लगने के चलते साई डायग्नोस्टिक सेंटर ने उसकी जांच की वरना वह उसे सेंटर में नहीं घुसने देते। आईएमए के डॉक्टरों ने दोषियों और लापरवाहों पर कार्यवाही करने की मांग भी की। पर क्या जिला प्रशासन टाटा मेन हॉस्पिटल और टाटा मोटर्स हॉस्पिटल के दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई कर पाएगा? यह शक के दायरे में है।