कोरोना ब्लास्ट से बचाव के लिए कड़े कदम जरूरी, जिले में डीसी मुख्यमंत्री से कम नहीं होते

कविकुमार
जमशेदपुर, 8 जुलाई: जमशेदपुर के अधिकतर नागरिक, नेता और जनप्रतिनिधि ‘हम नहीं सुधरेंगे’ के स्टाइल में जिस तरह से नादानी कर रहे हैं, वैसे में कोरोना संक्रमण जमशेदपुर को तबाह कर सकता है। टाटा का शहर होने के बाद भी टाटा स्टील अबतक मौन दर्शक बनी हुई है। अपने शहर को बचाने के लिए उसने टीएमएच के कोविड वार्ड के अलावा कोई ज्यादा प्रयत्न नहीं किया। टाटा नगर में कोरोना तेजी से फैल रहा है तो पूरे विश्व में बदनामी टाटा स्टील की भी हो रही है, यह बात सभी जानते हैं।
वैसे में जमशेदपुर का एक ही सहारा है और वे हैं जिला दंडाधिकारी सह उपायुक्त पूर्वी सिंहभूम रविशंकर शुक्ला। किसी भी जिला के उपायुक्त अपने जिले में मुख्यमंत्री से कम पावर नहीं रखते। जिले और जनता की भलाई के लिए वे मुख्यमंत्री के आदेश में भी फेरबदल कर सकते हैं। क्योंकि मुख्यमंत्री और राजनेताओं के समान उपायुक्त को उपायुक्त बने रहने के लिए जनता के वोट की जरूरत नहीं है।
पूरे झारखंड राज्य में जमशेदपुर का कोरोना संक्रमण एक नंबर पर आ गया है। यही रफ्तार रही तो कुछ दिनों बाद कोरोनावायरस का सामुदायिक फैलाव भी शुरू हो जाएगा। यह स्थिति हमारे शहर के लिए अशुभ संकेत होगी। एक दो मामलों में यह स्थिति आ गई है। ऐसा गोविंदपुर में हुआ पर प्रशासन ने पूरी मेहनत कर गोविंदपुर में कोरोना फैलने से बचा लिया। टाटा ट्यूब डिवीजन, टाटा पिगमेंट लिमिटेड केेे अनेक कर्मचारी कोरोनावायरस पाॅजिटिव मिले। इसी स्थिति में वे कंपनी के अंदर ड्यूटी कर रहेे थे। उन्होंने कंपनी के और कितने कर्मचारियों को कोरोना वायरस से संक्रमित किया होगा इसका पता लगाया जा रहा है।
जमशेदपुर के अधिकांश नागरिक अभी भी कोरोना को मजाक समझ कर चल रहे हैं। जबकि कोरोनावायरस तेजी से जमशेदपुर में अपने पैर पसार रहा है। जगह-जगह ठेले में नाश्ता और खोमचा बिक रहा है। एक-एक ठेले में 20-25 लोग सट कर खड़े रहते हैं। उनमें से कुछ के गोद में बच्चे भी रहते हैं।

सरकारी आदेश पर टेंपो चला दिए गए हैं। टेंपो का भाड़ा भी तिगुना कर दिया गया है फिर भी टेंपो वाले अधिक सवारी लेकर चल रहे हैं। ड्राइवर के बगल में भी सवारी बैठाई जाती है। न बैठने वाले सुधरेंगे न बैठाने वाले। न टेंपो में सैनिटाइजर की व्यवस्था है और न किसी ने अपनी परमिट शीशे पर चिपकाई है। फिर भी इनकी जांच हेलमेट और सीट बेल्ट चेक करने वाले ट्राफिक के जवान नहीं करते। कारण सब जानते हैं। टेम्पो वालों के संरक्षक झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता हैं। उन्होंने कभी टेम्पो वालों से नियम का पालन करने की अपील नहीं की।

छोटे से डाला टेंपो में सब्जियों के साथ सब्जी बेचने वाली 9-10 महिलाओं को सटा-सटा कर खड़ा करने वाले ड्राइवरों की खबर लेनी होगी।
फल के होलसेल बाजार में सुबह लगने वाली भीड़ काफी खतरनाक है। यहां से सैकड़ों फल विक्रेता फल लेते हैं, अगर इनमें से कोई भी कोरोना संक्रमण का शिकार होगा तो फल खरीदने वाले इसके शिकार बन सकते हैं। फल खाने वाले बुजुर्ग और बच्चों को बचाने के लिए साकची फल का होलसेल मार्केट संकरे बाजार से निकालकर मैदान में ले जाना होगा।
संजय मार्केट, शालिनी मार्केट, अमर मार्केट जैसे बाजारों को, जहां सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना असंभव है, बंद करना पड़ेगा। शहर में कुछ ऐसे डिपार्टमेंटल स्टोर हैं जो काफी छोटी जगह में हैं। वहां सोशल डिस्टेंसिंग रखना असंभव है। उदाहरण के लिए साकची का वनमाली साहू डिपार्टमेंटल स्टोर। शहर की कुछ नामी दुकानों में भीड़ ज्यादा लगती है और जगह कम है। वहां भी सोशल डिस्टेंसिंग का रोजाना उल्लंघन होता है। उदाहरण के लिए श्री लेदर्स, छोटी-छोटी कपड़े, आभूषण, चश्मे तथा जूते की दुकानें। संकरी गलियों के बाजार और भीड़ भरी दुकानों को चुन-चुन कर बंद करना होगा। सिंहभूम चेंबर आॅफ काॅमर्स और जमशेदपुर चेंबर आॅफ काॅमर्स की बातें मान कर कोरोना जैसे दुश्मन से नहीं लड़ा जा सकता।

सामाजिक संस्थाएं और राजनीतिक दल के नेता खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर रहे हैं तथा प्रशासन को अप्रत्यक्ष रूप से चुनौती देते हुए रोजाना सोशल डिस्टेंसिंग उल्लंघन कर फोटो सोशल मीडिया और समाचार पत्रों में छपवा रहे हैं। सांसद, विधायक, मंत्री और उनके लोग भी खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन कर रहे हैं। इनमें से अनेक मास्क भी नहीं लगा रहे हैं।
अगर जमशेदपुर को सुरक्षित रखना है तो सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन करने वाले झारखंड के मंत्री, सांसद और विधायकों पर भी कानूनी कार्रवाई करनी होगी, क्योंकि मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को सोशल डिस्टेंस का उल्लंघन करता देख आम लोगों की हिम्मत बढ़ती है और वे भी ऐसा करते हैं। रोकने पर ऐसे लोग जनप्रतिनिधियों का उदाहरण देखकर पुलिस और प्रशासन को चुप कराते हैं। इससे कोरोना वारियर्स का मनोबल गिरता है। ऐसे ही बहुत से कड़े कदम उठाने होंगे और यह काम डीसी ही कर सकते हैं। क्योंकि डीसी अपने जिले में मुख्यमंत्री से कम पावर फुल नहीं होते। जनहित में वे अपने जिले में मुख्यमंत्री के आदेश में भी संशोधन कर सकते हैं।