मेडिका के बंद होने पर आंसू न बहाए, खुशी मनाएं
कविकुमार जमशेदपुर, 20 जुलाई : झारखंड राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद बन्ना गुप्ता ने सबसे बढ़िया काम यह किया कि जमशेदपुर मेडिका अस्पताल के घपले घोटाले की जांच कराकर उसे जमशेदपुर से भागने पर मजबूर कर दिया। इस घपले घोटाले में टाटा स्टील के वे अधिकारी भी शामिल बताए जाते हैं, जो कांतिलाल गांधी मेमोरियल अस्पताल की संचालन समिति में थे। टाटा की भूमि लीज शर्तों का उल्लंघन करते हुए टाटा स्टील के इन अधिकारियों ने मेडिका अस्पताल को जमशेदपुर में स्थापित कराया। जमशेदपुर के मेडिका अस्पताल के कार्यकलापों पर शुरू से नजर रखने वालों का कहना है कि इस अस्पताल ने दोनों हाथों से मरीजों को लूटने का काम किया। अस्पताल में अनेक रोगियों की मौत सिर्फ इसलिए हो गई कि उसके परिवार वाले अस्पताल की भारी-भरकम फीस का बोझ नहीं उठा सके। कुछ मामले तो ऐसे भी देखे गए जिसमें मरीज के परिजन ने फीस जमा करने में कुछ देर की तो वेंटीलेटर में पड़े मरीज का वेंटिलेटर ऑफ कर दिया गया। जब मरीज के परिजन दौड़े-दौड़े बकाया फीस लेकर अस्पताल पहुंचे तब फिर से वेंटीलेटर शुरू किया गया, परंतु तब तक मरीज मर चुका था। इस संबंध में बिष्टुपुर थाना में मरीज के परिजन ने मेडिका अस्पताल के प्रबंधन पर मुकदमा भी किया पर पैसे और पैरवी के बल पर अस्पताल ने मुकदमे को स्वाभाविक मौत मार दिया। इसी तरह के अनेक मुकदमे बिष्टुपुर थाना में आज भी दर्ज हैं, जिनमें मेडिका अस्पताल के डॉक्टरों के गलत इलाज के चलते रोगी की मौत हो गई। मेडिका अस्पताल में रोगी और प्रबंधन के बीच गलत इलाज के मुद्दे पर मारपीट होना एक आम बात हो गई थी। यह कहना की हर बार डॉक्टर ही सही है, रोगी के परिजन गलत हैं। यह सही नहीं होगा। मेडिका के खिलाफ बिष्टुपुर थाना में दर्ज मामलों की कछुआ गति की जांच करने पर सच्चाई साबित हो सकती है।विश्व की सबसे बड़ी योजना आयुष्मान भारत योजना को भी मेडिका ने अपने अस्पताल में लागू किया। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस योजना को भी मेडिका अस्पताल ने कमाई का साधन बना लिया। इस योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे का मरीज मेडिका अस्पताल जाता था तो उससे डॉक्टर की फीस और पैथोलॉजिकल, एक्स-रे, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड वगैरह जांच की फीस वसूली जाती थी। किसी तरह उधार लेकर डॉक्टर की फीस और जांच के लिए हजारों रुपया खर्च करने के बाद उस मरीज से कह दिया जाता था कि बेड खाली नहीं है। अगर मेडिका अस्पताल मरीज को दाखिल करने के बाद उसकी जांच कराता तो मरीज को एक भी पैसे नहीं देने पड़ते। यह पैसे आयुष्मान भारत स्कीम के तहत मेडिका को मिल जाता। परंतु तत्काल रुपए कमाने के लालच में मेडिका अस्पताल ने प्रधानमंत्री की आयुष्मान भारत योजना की भी धज्जियां उड़ा दी थी। इसके बाद भी मेडिका प्रबंधन का कहना था उनका अस्पताल घाटे में चल रहा है। मसलन जमशेदपुर मेडिका प्रबंधन ने जमकर घोटाला किया होगा। इसकी जांच कराई जानी जरूरी है। गरीब रोगियों के नजरों में जमशेदपुर का मेडिका अस्पताल एक कसाई अस्पताल माना जाता था। |