शिक्षा मंत्री ने शिक्षा माफिया के रोंगटे खड़े किए
कवि कुमार
जमशेदपुर, 2 जुलाई : झारखंड के शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने सरकारी स्कूलों के सुधार का मूल मंत्र जान लिया है। इसी के तहत उन्होंने ऐलान किया है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वालों को ही सरकारी नौकरी मिलेगी, इस तरह का कानून झारखंड में बनाया जाएगा। शिक्षा मंत्री के इस बयान का मजाक वैसे लोग उड़ा रहे हैं जो खुद अंग्रेजी मीडियम के प्राइवेट स्कूल में पढ़ चुके हैं या अपने बच्चों को काफी खर्च कर पढ़ा रहे हैं। इनमें कुछ जनप्रतिनिधि, पूर्व जनप्रतिनिधि और राजनीतिक दल के नेता भी शामिल हैं। कुछ लोगों ने तो शिक्षा मंत्री का मजाक उड़ाते हुए ऐसे पोस्टर भी जारी किए हैं जैसे शिक्षा मंत्री शराब पीकर बोल रहे हों। ऐसे लोगों ने कहा है कि शिक्षा मंत्री के पास मद्य निषेध विभाग भी है इसलिए वे ऐसा बयान दे रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले लाखों युवक-युवतियों और उनके अभिभावकों में उत्साह है। आम जनता शिक्षा मंत्री के इस विचार का स्वागत कर रही है परंतु उनकी बातें मीडिया में नहीं आ रही हैं।आम जनता का कहना है की प्राइवेट स्कूल समाज के होनहार विद्यार्थियों को अपनी और आकर्षित कर लेते हैं, जाहिर है इसका कारण सरकारी स्कूलों की बदहाली है। प्राइवेट स्कूलों द्वारा होनहार विद्यार्थियों को पढ़ाने में कोई खास मेहनत भी नहीं करनी पड़ती। जबकि सरकारी स्कूल ऐसे छात्र-छात्राओं को पढ़ा कर आगे बढ़ाते हैं, जो होनहार नहीं होते। इसके लिए सरकारी शिक्षकों को काफी मेहनत करनी पड़ती है। उसके बाद भी प्राइवेट स्कूल के मुकाबले में उनका रिजल्ट अच्छा नहीं होता। कभी-कभी तो सरकारी स्कूलों में पांच छह क्लासों में ऐसे बच्चे आ जाते हैं, जिन्हें अक्षर ज्ञान भी नहीं होता। फिर भी सरकारी शिक्षक उन्हें भी आगे बढ़ाते हैं। संक्षेप में कहा जा सकता है कि सरकारी स्कूलों की सफलता का राज होनहार (ब्रिलियंट) बच्चों को छांट कर अपने स्कूलों में ले जाना है। आम धारणा यही है कि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे ही सरकारी नौकरी पा सकते हैं। इसी कारण वे कर्ज लेकर या अपने खेत बेच कर भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने की मजबूरी झेलते हैं।अगर झारखंड सरकार ऐसा कानून बना दे कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे ही सरकारी नौकरी के हकदार होंगे तो समाज में जितने भी होनहार (ब्रिलियंट) बच्चे हैं वे प्राइवेट स्कूल में न पढ़कर सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे। तेज बच्चे मिलने पर सरकारी स्कूलों का रिजल्ट प्राइवेट स्कूलों से कई गुना अच्छा होगा। अमीर घर के लोग भी अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाएंगे। इससे सरकारी स्कूलों की हालत अपने आप सुधर जाएगी। कुछ प्रयास सरकार का होगा और कुछ प्रयास अमीर अभिभावकों का। यह सब जानते हैं कि अमीर अभिभावक ही अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों को डोनेशन दे दे कर अरबपति बना चुके हैं। प्राइवेट स्कूलों की ऊंची भव्य बिल्डिंगों की चमक अभिभावकों के डोनेशन के कारण ही है। इस तरह अगर झारखंड सरकार यह नियम बनाती है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वालों को ही सरकारी नौकरी मिलेगी तो झारखंड के शिक्षा विभाग में आमूलचूल परिवर्तन होगा। लोग चकित इसलिए हैं कि एक झारखंडी शिक्षा मंत्री के दिमाग में इतना बढ़िया आइडिया आया कैसे, जिसने झारखंड के शिक्षा माफिया के रोंगटे खड़े कर दिए।