पराकाष्ठा पर दोहरा रवैया !
—सुरेंद्र किशोर—
इसी साल जनवरी में फिल्म अभिनेता नसीरूद्दीन शाह ने कहा था कि हिन्दुस्तान छोड़ने का अब वक्त आ गया है। 2015 में आमिर खान ने भी कहा था कि मेरी पत्नी किरण कह रही है कि देश में असुरक्षा का माहौल है। वह बच्चों के साथ देश छोड़कर जाना चाहती है। इन बयानों पर शिवसेना या किसी अन्य दल ने तब क्या कहा था? क्या उन पर राजद्रोह का केस किया? या, ऐसी मांग भी की? पता नहीं।
पर, जब कंगना राणावत ने मुम्बई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर से की तो शिवसेना ने क्या कहा? वरीय शिवसेना विधायक प्रताप सरनायक ने कहा कि कंगना के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर किया जाना चाहिए। अब वरीय कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण का एक बयान देखिए। उन्होंने जनवरी, 2020 में कहा था कि हम शिवसेना सरकार में इसलिए शामिल हुए क्योंकि हमारे मुसलमान भाइयों ने भी हमसे जोर देकर यह कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर रखने के लिए आप लोग शिवसेना सरकार में शामिल हो जाइए।
अब इन बयानों का मतलब निकालिए। साथ ही देखिए कि पिछले कुछ महीनों से मुम्बई में क्या-क्या हो रहा है। और क्या-क्या होने का अनुमान व अंदेशा है! क्या आपको लग रहा है कि मुम्बई में कानून का शासन है? या अंधेरे की दुनिया के लोगों का शासन है? क्या ड्रग्स के कारोबारियों के सामने पूरी राज्य सरकार व मुम्बई पुलिस लाचार नहीं है? इस देश में आज सुप्रीम कोर्ट यदि नहीं रहता तो मुम्बई के ड्रग्स माफिया का पर्दाफाश होता? ड्रग्स के कारोबार में कौन-कौन लोग लिप्त हैं? मुम्बई फिल्म जगत किसकी मुट्ठी में है? दाउद इब्राहिम और उसके स्थानीय लोगों की कैसी भूमिका रहती आई है? उसके संरक्षक कौन-कौन हैं?