सही पुण्य कार्य करने वाले के पास भीड़ नहीं होती है
जमशेदपुर, 7 सितंबर : समाजसेवी वकील गिरिजा शंकर जायसवाल को टाटा मेन हॉस्पिटल में इलाज के लिए वेंटीलेटर नहीं मिला। जिससे उनकी मौत हो गई। मौत के बाद टाटा मेन हॉस्पिटल उनकी लाश रखने को तैयार नहीं था। देर रात को पूर्वी सिंहभूम पर उपायुक्त सूरज कुमार की पैरवी पर टाटा मेन हॉस्पिटल में उनकी लाश रखी गई।
वे कोविड-19 के मरीज थे। स्वर्गीय जयसवाल की पुत्री स्वेता शालिनी ने अपने पिता के साथ जमशेदपुर के टाटा मेन हॉस्पिटल के द्वारा किए गए बर्ताव पर अपना रोष जाहिर किया। इस पर शहर के जाने-माने वकील रविंद्र नाथ चौबे ने श्वेता शालिनी को एक पत्र लिखकर कहा कि आपके माध्यम से आपके परिवार के दर्द से अवगत हुआ। अत्यंत ही अति असाधारण अवधि है और महामारी के प्रकोप के कारण छिन्न-भिन्न होती सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था के सभी दर्शक बने हुए हैं। हालांकि इस परिस्थिति में देवदूत बनकर डाक्टर, नर्स, सफाईकर्मी और पुलिस प्रशासनिक कर्मी कार्यरत हैं।

संत तुलसीदास जी की दो वाणी को उद्धृत कर रहा हूं जो कठोर सत्य है।’हानि, लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश विधि हाथ।’ तुलसी जैसी भवितव्यता वैसे मिले सहाय। गीता के अनुसार मनुष्य के हाथ में कर्म करना है। फल प्रभु या अज्ञात शक्ति के हाथ में है। इसलिए जो हो रहा है उसे ईश्वर की मर्जी समझ कर स्वीकार करना ही विवेकवान और आध्यात्मिक व्यक्ति का धर्म है। 26 अगस्त को सुबह 4 बजे व्हाट्सएप पर ‘आज़ाद न्यूज़’ से मालूम हुआ तो कुछ देर के लिए लगा कि टाटा स्टील के एमडी, वीपी और इस प्रकार टीएमएच से जो साधारण रिश्ता है उसका उपयोग जायसवाल जी को बचाने में हो सकता था। दो-चार दिन पूर्व ही टीएमएच में और सुधार के लिए मेरे लिखे गए मेल का जवाब टाटा स्टील के एमडी ने मेल के द्वारा मुझे दिया था। जिसकी प्रति मैंने जायसवाल जी को भेजी थी और उन्होंने उसे पढ़ा था।
बाद में मुझे लगा कि मैं ग़लत हूं। क्योंकि जो होनी है वह होकर ही रहती है।जायसवाल जी के साथ मेरा घनिष्ठ संबंध रहा है। 26 को सुबह सात बजे उनकी पत्नी प्रभा जी से बातचीत हुई, चूंकि वे बातचीत करने की स्थिति में नहीं थींं इसलिए ज्यादा बात मैंने नहीं की। फिर 27 को प्रभा जी का फोन आया कि मृत्यु प्रमाण पत्र मिलने में दिक्कत हो रही है। आप बार एसोसिएशन के अध्यक्ष से बात कर सिविल सर्जन पर दबाव डालिए। मैंने अध्यक्ष अजीत कुमार अम्बस्टा से बात की। उनको मुझसे पहले किसी वकील ने कहा था। उन्होंने कहा कि सिविल सर्जन से सम्पर्क कर रहा हूं।
उन्होंने भी सम्पर्क किया और मैंने भी व्यक्तिगत रूप से बातचीत की। सिविल सर्जन ने कहा कि कारवाई हो रहीं है, मिल जायेगा।यह सूचना मैंने प्रभा जी को फोन पर दी। संयोग से उधर से तुम ही बात कर रही थी ।तुमने कहा थैंक्स।जायसवाल जी ने शुरू मेंं जिन दुखी जनों को न्याय दिलाया और बाद में डायन प्रथा के खिलाफ समाज सुधार का काम किया उसकी सब प्रशंसा करते हैं।
हमारे देश का समाज ऐसा है कि सही पुण्य कार्य करने वाले के पास भीड़ नहीं होती है, किंतु ऐसे पुण्य कार्य से परमात्मा खुश होता है। जब हम ऐसे पुण्य कार्य के बदले में किसी लाभ या यश की अपेक्षा नहीं करते हैं तो। इसलिए हमारे देश कहावत है ‘नेकी कर दरिया में डाल।’रवीन्द्र नाथ चौबे