जनप्रतिनिधियों को वापस बुलाने का आंदोलन छेड़ेंगे बेसरा
जमशेदपुर, 29 नवंबर : ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के संस्थापक सह झारखंड पीपुल्स् पार्टी (जेपीपी) के केंद्रीय अध्यक्ष सूर्य सिंह बेसरा, पूर्व विधायक ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा है कि झारखंड सरकार को एक अल्टीमेटम दिया गया है कि दिसंबर 2020 तक ”झारखंड राज्य आन्दोलनकारी चिन्हितकरण आयोग” का पुनर्गठन करे।
साथ ही साथ संविधान के अनुच्छेद- 350 (क) के मातहत मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा अनिवार्य तथा अनुच्छेद- 345/ 346 में प्रावधानों के अनुरूप 9 झारखंडी भाषाओं को राजभाषा का दर्जा दिया जाए, अन्यथा 31 दिसंबर को झारखंड बंद किया जायेगा। यह निर्णय रविवार को “झारखंड आन्दोलनकरी सेनानी” के द्वारा देवघर स्थित परिसदन में लिया गया।
आन्दोलनकारियों ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य संयोजक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि पूर्व की भाजपा सरकार ने 8 अगस्त 2019 को झारखंड राज्य आन्दोलनकारी चिन्हितकरण आयोग को समाप्त कर दिया था। अभी तक करीब चार हजार झारखंड आन्दोलनकारियों को चिन्हित कर उन्हें मात्र 3000-5000 रूपये पेंशन दिया जा रहा है। जबकि अभी भी करीब पचास हजार आन्दोलनकारियों का आवेदन आयोग की कार्यकाल में लम्बित है।
झारखंड आन्दोलनकारी सेनानी ने राज्य सरकार से मांग की है कि आन्दोलनकारियों को “भारत स्वतंत्रता सेनानी” का दर्जा दिया जाय। साथ ही उनको 20 हजार रुपए पेंशन प्रति माह दिया जाय। पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने राज्य सरकार को चेतावनी देते हुए कहा है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा को 2019 की विधान सभा चुनाव मेंं जो जनादेश मिला था, उसका वे अनादर कर रहे हैं।
श्री बेसरा ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायकों पर भी सवाल उठाये हैंं। वे झारखंड राज्य निर्माताओं के अहम मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए हैंं? वे सरकार पर दवाब डालकर झारखंड राज्य आन्दोलनकारी चिन्हितकरण आयोग का पुनर्गठन कराये और सबको सम्मान और समान पेंशन दिलायेंं। साथ ही झारखंडी भाषाओं को स्कूली शिक्षा एवं सरकारी कामकाज का माध्यम वनायें अन्यथा विधायक पद से इस्तीफा दें। इसके लिए 1 जनवरी 2021 से “जनप्रतिनिधि को वापस बुलाने के अधिकार” के तहत विधायकों से त्यागपत्र लेने का अभियान चलाया जायेगा।
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