प्रचारक अपने ‘काम’ पर हैं उनसे जीत नहीं सकते !!
दिल्ली से संजय कुमार सिंह
हर मौके पर या बेमौके भी कांग्रेस की चर्चा करना फैशन है और इस फैशन में यह बताना भी कि राहुल गांधी पार्टी को संभाल नहीं पा रहे हैं। ये राहुल गांधी वही हैं जो सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री चुने जाने और बनने की सारी स्थितियां होने पर भी शपथ नहीं लेने देने जैसे हालात बना देने पर प्रधानमंत्री बनने के लिए नहीं ललचे। कुर्सी के लिए नहीं लपके।
यह उनकी कमजोरी या अयोग्यता हो सकती है पर कांग्रेस पार्टी देश में जैसी और जितनी है, पंजाब और राजस्थान में सरकार तो है ही। राहुल गांधी के अध्यक्ष पद छोड़ देने के बावजूद बनी और टिकी रही, कोई योग्य नहीं दिख रहा है फिर भी चल रही है। चुनाव लड़ रही है भले जीत नहीं पा रही है।
ऐसी पार्टी किन पार्टियों से अच्छी है या ऐसे राहुल गांधी किन लोगों से योग्य हैं यह बताने की जरूरत नहीं है। पर यह तो मानना ही पड़ेगा कि लाल बहादुर शास्त्री से लेकर हेमवती नंदन बहुगुणा तक के बच्चे जब कांग्रेस में नहीं हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर चले गए और राजेश पायलट जाते-जाते नहीं जा पाए तो भी कांग्रेस पार्टी बनी हुई है।
कितने ही नेताओं का परिवार राजनीति में टिक नहीं पाया फिर भी राहुल गांधी टिके हुए हैं और सांसद भी हैं। यह उस जनता पार्टी से तो बेहतर है जो तीन साल में बिखर गई। उसे नेतृत्वहीन कांग्रेस से भी बेहतर है जो राजीव गांधी के बाद सरकार नहीं चला या बना पाई। उस पार्टी से भी बेहतर है जो हर सीट पर चुनाव लड़ती है लेकिन जीतती एक नहीं है। फिर भी प्रचारकों को लक्ष्य दिया जाता है। वे काम पर हैं। अपने निशाने पर हैं। उनसे जीत नहीं सकते। वे रंग गोरा करने की क्रीम बेचते रह सकते हैं।