प्राथमिक स्कूल तो ठीक से चला नहीं पा रहे हैं और बड़े बड़े लोक उपक्रम चलाने का हौसला बांधते हैं
सुरेंद्र किशोर बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार ने जब कोलकाता के ग्रेट इस्टर्न होटल को बेचा, तब तो किसी प्रगतिशील ने विरोध नहीं किया।उन्होंने किसी मजबूरी में ही बेचा होगा।वैसी ही मजबूरी चीन सरकार के साथ रही है। पर, वह इन दिनों बहाना बनाती है कि ‘‘हम समाजवाद की रक्षा के लिए पूंजीवाद अपना रहे हैं। ’’रूस में आज समाजवाद है या पूंजीवाद ?जहां भ्रष्टों को फांसी की सजा देने का प्रावधान (चीन) है, वहां तो लोक उपक्रम में भ्रष्टाचार नहीं रुका। और भारत में कुछ लोग भोली उम्मीद पाल रहे हैं।दूसरी ओर धर्म निरपेक्षता-सामाजिक न्याय के नाम पर राजनीति में अपेक्षाकृत भ्रष्ट व अपराधी नेताओं को समर्थन देते हैं। इस देश के एक बीमार पी.एस.यू. के बारे में मुझे बताया गया कि मज़दूर मशीन का पार्ट खोल कर जमीन में गाड़ देते थे ताकि उन्हें अगले दिन काम न करना पड़े? सरकारी स्कूलों को देखकर उस पर विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है। इस देश के लोकतंत्र में जो जितना बड़ा अपराधी और भ्रष्ट है, उसे राजनीति की उतनी ही बड़ी जगह मिलने की उम्मीद रहती है। अब एक व्यावहारिक कठिनाई समझिए। कई दशक पहले किसी नगर के पास लोक उपक्रम के लिए सौ एकड़ जमीन अधिग्रहीत की गई। उसमें से दस एकड़ में ही कारखाना लगाया गया।धीरे-धीरे नगर ने, महानगर बन कर उस कारखाने को घेर लिया। उस कारखाने में मुनाफा तो है किंतु 90 एकड़ बहुमूल्य जमीन का इस्तेमाल नहीं है। सरकार के पास लगाने के लिए पूंजी नहीं है। सरकार की प्राथमिकता स्वास्थ्य, शिक्षा और बाह्य-आंतरिक सुरक्षा पर खर्च करना है। वही खर्च पूरा नहीं पड़ रहा है।क्योंकि टैक्स वसूली में भी भ्रष्टाचार है। ऐसे में सरकार नब्बे एकड़ में निजी क्षेत्र को सहयोगी बनाती है ताकि उतनी जमीन का इस्तेमाल हो सके। ताकि उससे सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिले। हमारे यहां के कई लोगों के साथ दिक्कत यह है कि जहां चीन, रूस और बंगाल के कम्युनिस्ट फेल कर गए, भारत की सड़ी-गली राजनीति व नौकरशाही (अपवादों को छोड़कर) से लोक उपक्रम में चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं। प्राथमिक स्कूल तो ठीक से चला नहीं पा रहे हैं और बड़े बड़े लोक उपक्रम चलाने का हौसला बांधते हैं जिसमें हमेशा आधुनिकीकरण के लिए पूंजी लगाने की जरूरत पड़ती है। हालांकि विनिवेश के विरोध का यह तो बहाना है। लोक उपक्रमों में लूट को जारी रखने के लिए अनेक लोग उसका विनिवेश नहीं चाहते।आपको पता ही होगा कि एयर इंडिया को घाटे में डालने का जिम्मेदार कौन है। |